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Kamvasna

Widow Chudai Kahani

विधवा मालकिन की प्यासी चूत

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Widow Chudai Kahani में मैंने जॉब के लिए कमरा किराए पर लिया. मकान मालकिन विधवा थी. वह पहले महीने का किराया लेने आई तो मैंने उन्हें चाय के लिए बैठा लिया.

दोस्तो, मेरा नाम अमित है. मेरी उम्र 28 साल है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ.
मेरी हाइट साढ़े पांच फीट की है और मेरा लंड 7.8 इंच का है जो किसी भी चूत का भोसड़ा बना सकता है.

मैंने दिल्ली में एक कमरा किराए पर लिया है और मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ.

Widow Chudai Kahani में आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपनी मकान मालकिन के बारे में बता देता हूँ.
उनकी उम्र 42 साल है और उनका 36-32-40 का फिगर सच में क़यामत ढाने वाला है. उनकी फिगर की नाप देख कर आप समझ सकते हैं कि वे कितनी हॉट हैं.

उनके पति को गुज़रे तीन साल हो गए हैं और वे अब विधवा हैं.
उनका कोई बच्चा भी नहीं है.

जब मैंने कमरा लिया तो उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं यहां अकेली रहती हूँ, इसलिए तुम समय का ध्यान रखना. टाइम पर आना-जाना और यदि तुम्हारा देर रात के आने जाने का कोई सिस्टम हो तो मैं तुम्हें कमरा नहीं दे सकती!
मैंने हामी भर दी.
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए.

एक दिन जब मकान का किराया चुकाने का समय हुआ तो वे किराया मांगने आईं.
मैंने उन्हें पूरा सम्मान देते हुए बैठने को कहा.

वे मेरे व्यवहार से बड़ी खुश हुईं और कुर्सी पर बैठ गईं.
मैंने उनसे पूछा- आंटी जी, क्या आप चाय पिएंगी?

उन्होंने हां में जवाब दिया.
मैं हम दोनों के लिए चाय बनाने लगा.
इतने में वे खुद किचन में आ गईं.

वे मुझसे बोलीं- अमित, तुमने तो कमरा बहुत अच्छा सजा रखा है!
मैंने कहा- जी, मुझे साफ़-सफ़ाई और सजावट का बहुत शौक है.

वे किचन की साफ सफाई को भी देख रही थीं.

फिर मैंने पूछा- अच्छा लगा न आपको?
उन्होंने कहा- हां, बहुत अच्छा लगा है.

फिर मैंने देर न करते हुए बोला- आंटी, आपसे एक बात पूछ सकता हूँ क्या?
वे बोलीं- हां बोलो न!

मैंने कहा- आप कमरे में अकेली रहती हैं, आपको डर नहीं लगता?
उन्होंने हंस कर जवाब दिया- डर कैसा?

मैं उन्हें देखने लगा.

इतने में वे बोलीं- अरे … चाय गई तुम्हारी!
मैंने झट से गैस बंद की, फिर चाय छानकर आंटी को दी और खुद भी पीने लगा.

चाय पीते-पीते आंटी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- अभी तो नहीं है.

उन्होंने बोला- ऐसा हो ही नहीं सकता. तुम इतने सुंदर हो, इतने स्मार्ट हो, तुम्हारी गर्लफ्रेंड ज़रूर होगी. मुझसे बताना नहीं चाह रहे हो.
मैंने कहा- नहीं आंटी, सच में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

उन्होंने कहा- तो कुछ ट्राई करो न!
मैंने हंस कर कहा- मुझे लड़कियां पसंद नहीं आती हैं आंटी जी!

वे बोलीं- क्यों लड़कियों में क्या समस्या दिखती है?
मैंने कहा- नहीं समस्या कुछ नहीं आती … बस मुझे तो आंटी और भाभी पसंद आती हैं.

यह सुनकर वे हंसने लगीं और बोलीं- पागल हो तुम!
मैंने कहा- हां, हो सकता है कि आप सही कह रही हों … लेकिन यही सच है!

उन्होंने पूछा- अच्छा मुझे बताओ … तुम्हें किस टाइप की आंटी या भाभी पसंद आती हैं?
मैंने देर न करते हुए कहा- बिल्कुल आपकी जैसी.

वे बोलीं- मुझमें क्या खास है?
मैंने कहा- आप इतनी ख़ूबसूरत हैं कि कोई भी आपका दीवाना हो जाए.

उन्होंने कहा- रहने दो, झूठी तारीफ़ नहीं करते.
मैंने कहा- सच में, आप बहुत सेक्सी हैं.
सेक्सी शब्द सुनते ही वे हंसने लगीं और बोलीं- पगला गए हो तुम!

आंटी की इतनी बे-तक्कलुफी देख कर में मैंने कहा- आंटी एक बात बताओ, आपने कब से सेक्स नहीं किया?

उन्होंने झिड़की देते हुए कहा- यह सब क्या बक रहे हो!
मैंने कहा- बस मैं तो ऐसे ही पूछ रहा हूँ.

उन्होंने बोला- जब तुम्हारे अंकल थे, तब लास्ट टाइम किया था. करीब चार साल हो गए होंगे. उसके बाद उनका एक्सीडेंट हो गया था, तब से लेकर आज तक नहीं किया.
मैंने पूछा- मन करता है आपका सेक्स करने का?

वे बोलीं- मन करने से क्या होता, जब होगा ही नहीं.
मैंने कहा- वह तो है … पर फिर भी बताओ तो कि जब मन करता है … तब आप क्या करती हैं?

उन्होंने कहा- कुछ नहीं, बस कभी उंगली डालती हूँ और जब ज़्यादा मन करता है, तो कभी बैंगन या खीरे से काम चलाती हूँ.
मैंने खुलते हुए कहा- आपको लंड की कमी नहीं खलती?

वे मेरी कामुक आंखों को देखती हुई बोलीं- खलती तो है, पर क्या करूँ?
मैंने कहा- मैं आपकी उस कमी को दूर कर सकता हूँ.

उन्होंने मेरी तरफ़ एकदम से देखा और अचानक से न जाने क्या हुआ, वे मुझसे लिपट गईं और रोने लगीं.
मैंने भी उन्हें कसकर अपनी बांहों में दबा लिया.

हम दोनों की सांसें गर्म हो गईं.
मैंने उनके होंठों पर किस करना शुरू किया. किस करते-करते मैं उनके चूचे दबाने लगा.

वे कामुक सिसकारियां भरने लगीं- ऊह … आह … ओह … ओह माय गॉड.
मैं समझ गया कि आंटी गर्म हो चुकी हैं.

मैंने देर न करते हुए उनकी साड़ी में हाथ डाल दिया.
मैं एकदम चौंक गया, बिल्कुल चिकनी चूत थी उनकी!

मैं उनकी चूत की फांकों को हल्के-हल्के सहलाने लगा.
अब वे और गर्म हो चुकी थीं.

अब तक मेरा लंड भी बिल्कुल सांप की तरह अकड़ कर टाइट हो गया था.
आंटी ने उसे अपने हाथों में पकड़ लिया और हाफ लोअर के ऊपर से सहलाने लगीं.

फिर आंटी नीचे बैठ गईं, मेरे हाफ लोअर को नीचे करके उन्होंने लौड़े को बाहर निकाला और उसे पूरा मुँह में ले लिया.

मैं एकदम हैरान रह गया.
पूरा का पूरा लंड उनके गले तक उतर गया और वे पागलों की तरह चूसने लगीं … मानो खा ही जाएंगी.

वह पूरे 15 मिनट तक मेरे लौड़े को चूसती रहीं.
फिर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनके ब्लाउज़ को खोलने लगा.
साथ-साथ उनकी नाभि को सहलाने लगा.

कुछ पल बाद मैंने उनका पूरा ब्लाउज़ खोल दिया.
अब उनकी लाल रंग की ब्रा मानो कयामत ढा रही थी.
उनके चूचे ब्रा से जैसे बाहर निकलने को बेताब थे.

मैंने उन्हें थोड़ा करवट दिलाई और ब्रा का हुक खोल दिया.
हुक खोलते ही आंटी मुझसे लिपट गईं, शर्म से कसकर चिपक गईं.

मैंने उनके होंठों पर किस करते हुए उनकी ब्रा को उनके शरीर से अलग कर दिया.

आंटी के चूचे इतने मस्त थे कि मैं बस उन्हें देखता रह गया और उन्हें अपने हाथ में लेकर एक दूध के निप्पल को चूसने लगा.
उनके दोनों निप्पल एकदम कड़क हो गए थे.

धीरे-धीरे मेरा एक हाथ उनकी साड़ी के अन्दर गया और उनकी चूत को सहलाने लगा.

मैंने उनकी साड़ी उतार दी, फिर पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया.

पेटीकोट को नीचे खिसका कर मैंने देखा तो उनकी चूत बिल्कुल साफ और गर्म थी.

अब मैंने आंटी की दोनों टांगें फैलाईं और उनकी चूत चाटने लगा.
चूत चाटते-चाटते उनके छेद में अपनी जीभ डालने लगा.

वे इतनी मादक सिसकारियां भरने लगीं कि पूरे कमरे में ‘ऊं … आह … ऊं… आह …’ की आवाज़ें गूँज उठीं.

कुछ ही देर में उन्होंने अपना पूरा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया.
पानी का स्वाद एकदम नमकीन था.

वे बोलीं- तूने तो मुझे आज संतुष्ट कर दिया … पर अभी मेरी आग पूरी तरह से बुझी नहीं है. तुम अब चोद दो मुझे प्लीज़!

मैंने कुछ देर तक आंटी से प्यार किया और उनकी चूत को उंगली से रगड़ा तो वे वापस चुदासी हो गईं.

मैंने उनकी टांगों के बीच में आकर अपने लंड को उनकी चूत पर सैट किया और एक धक्का दे दिया.
वे चीख पड़ीं जबकि अभी मेरा लंड आधा ही अन्दर गया था.

आंटी कराहती हुई बोलीं- बाहर निकाल लो प्लीज बहुत मोटा है … आह इससे तो मेरी चूत चिर सी गई है!

मैं लंड पेले हुए वैसे ही रुका रहा क्योंकि मैं समझ रहा था कि आंटी आज सालों बाद चुद रही थीं, तो चूत चिपक गई थी.

कुछ देर बाद जब वे सामान्य हुईं, तो उन्होंने अपनी गांड को जुंबिश दी.
उसी वक्त मैंने पुनः एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया.

उस वक्त वे इस हमले के लिए रेडी नहीं थीं और इधर मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत की बच्चेदानी तक अन्दर घुसता चला गया था.
आंटी की बहुत आवाज निकलने को हुई.

लेकिन मुझे अंदाज हो गया था कि इस बार आंटी मुहल्ले भर को बता देने वाली आवाज निकालने वाली हैं तो मैंने उनके मुँह पर अपना हाथ रख दिया था.
उनकी घुटी हुई आवाज निकली और वे रोने लगीं.

मैं उन्हें चूमने लगा.

फिर कुछ देर बाद लौड़े ने चूत से दोस्ती पक्की कर ली तो आंटी को मज़ा आने लगा.

अब मैंने लंड को आगे पीछे किया तो वे मस्ती से साथ देने लगीं और बोलीं- अब ठीक लग रहा है. तुम और तेज़ तेज़ झटके मारो!

मैंने स्पीड बढ़ा दी.
करीब आधा घंटा की धकापेल चुदाई में वे दो बार झड़ चुकी थीं.

अब मेरा वीर्य भी निकलने वाला था.
मैंने पूछा- कहां निकालूँ?
वे बोलीं- अन्दर ही छोड़ दो.

मैंने पूरा माल अन्दर ही छोड़ दिया और उनके ऊपर निढाल होकर लेट गया.

वे भी मुझे किस करती हुई मुझसे चिपक गईं.

हम ऐसे ही आधा घंटा तक एक-दूसरे से लिपट कर पड़े रहे.
कुछ देर बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.

मैंने आंटी का हाथ अपने लंड पर रख दिया.
उन्होंने कहा- मैं तैयार हूँ.

इस बार हम दोनों पहले 69 की पोजीशन में आ गए.
आंटी मेरे लंड को गले तक अन्दर-बाहर करने लगीं और मैं उनकी चूत में अपने होंठों से चूत की फांकों का रस चाटने लगा.

कुछ ही देर में मैंने उनकी चूत में जीभ डालना शुरू कर दिया.
वे मेरी खुरदुरी जीभ से एकदम पागल हो गईं.

अब मैं उनकी गांड मारना चाहता था, इसलिए मैंने लंड का टोपा उनकी गांड में सैट किया.
वे उचकती हुई बोलीं- अरे यह क्या कर रहे हो? मैं उधर नहीं ले पाऊंगी!

मैंने कहा- आराम-आराम से करूँगा, सब चला जाएगा.
वे बोलीं- नहीं … उधर नहीं … मुझे बहुत दर्द होगा!

मैंने कहा- दर्द हुआ तो निकाल लूँगा.
वे चुप हो गईं.

फिर मैंने उनकी गांड के छेद में ढेर सारा सरसों का तेल लगाया और अपने लंड की भी अच्छे से मालिश की.
इसके बाद दोबारा उनकी गांड में तेल भर दिया और धीरे से लंड गांड पर रखा ही था कि अचानक से जोर लग गया और पूरा लंड सरसराता हुआ अन्दर चला गया.

वे चिल्लाईं- ऊई मैया … मर गई … बाहर निकालो!
मैंने अपनी हंसी दबाते हुए कहा- बस एक मिनट की बात है!

सच में एक या दो मिनट की Xxx विडो चुदाई में उनका दर्द कम हो गया.
मैंने लौड़े को उनकी गांड में आगे पीछे करते हुए पूछा- अब और करूँ या नहीं?

वे धीमी सी आवाज में बोलीं- धीरे-धीरे से करो!
मैं धीरे-धीरे लौड़े को आगे-पीछे करने लगा.

अब आंटी को मज़ा आने लगा.
वे खुद ही अपनी गांड आगे-पीछे करने लगीं.

हम दोनों की धकापेल चुदाई होने लगी.
करीब 15 मिनट चोदते-चोदते मेरा माल उनकी गांड में ही निकल गया.

आंटी के चेहरे पर एक अलग ही स्माइल थी.

वे मुझसे बोलीं- आज के बाद तुम दिन में मेरे किरायेदार हो और रात में मेरे पति!
मैंने भी उन्हें गले लगा लिया और पूछा- चूत चिकनी ही रखती हो आंटी या आज मेरे लंड से चुदने के लिए साफ की थी?
वे हंस दीं और बोलीं- खास तुम्हारे लिए साफ की थी.

हम दोनों अब रोज़ रात को पति-पत्नी की तरह चोदने का सुख लेने लगे.

दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है … Widow Chudai Kahani आपको कैसी लगी, प्लीज आप मुझे मेल करके ज़रूर बताएं.

मेरी मेल आईडी है
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