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Kamvasna

Bhabhi Sex Kahani

दो भाभियों को 18 साल के लड़के ने चोदा

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Desi Bhabhi Sex Kahani में हमारी दूध की डेरी में मैं दूध बांटने जता था. पास की दो औरतें मेरे पास दूध लेने आती थी, वे आपस में सहेलियां थी और मुझसे चुहलबाजी करती थी.

दोस्तो, मैं एक गांव का रहने वाला हूँ, यह गांव चंदौसी जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के पास है.

यह कहानी एक 18 साल के लड़के की है, जो अब 30 साल का हो चुका है.

यह Desi Bhabhi Sex Kahani बारह साल पुरानी हो चुकी है.
लेकिन आज भी जब मैं उस वक्त को याद करता हूँ, जब मैंने अंगूरी और पंडिताइन भाभी को चोदने का प्लान बनाया था तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.

Desi Bhabhi Sex Kahani के समय मेरी उम्र लगभग 18 साल थी.
मेरे पिताजी ने एक दूध की डेरी खोली थी, जहां दूध बेचने का काम होता था.

उसी डेरी के पास दो औरतें रहती थीं.
एक थीं पंडिताइन भाभी और दूसरी थीं अंगूरी भाभी.
ये दोनों औरतें बहुत चालू थीं.
मुझे उस समय नहीं पता था कि वे क्या चाहती थीं.

एक दिन मैं डेरी पर दूध बाँट रहा था.

तभी दोनों मचलती हुई आईं और बोलीं- दूध दो, चूत लो!
यह सुनकर मैं शर्मा गया.

मैं सोचने लगा कि ये दोनों इतनी खुल्लम खुला यह सब क्या कह रही हैं!

हालांकि मेरा जवान लंड फड़फड़ाने लगा था कि साली दोनों रंडियों चुत देने की बात कर रही हैं.
वही सब सोच कर उस रात मुझे नींद नहीं आई.

जब भी आंख खुलती, मैं अपने लंड को पकड़कर मसलने लगता.
कभी-कभी तो मुठ मारने लगता और सोचता कि अंगूरी भाभी को कैसे चोदा जाए!

अब मैं रात के समय भी डेरी पर जाने लगा.
अंगूरी के पास बैठकर मस्ती भरी बातें करता.
साथ ही यह भी सोचता कि अंगूरी को कब्जे में कैसे लाया जाए.

एक दिन अचानक लाइट चली गई.

मैंने मौका देखकर अंगूरी के दूध (स्तनों) पर हाथ रख दिया.
उन्होंने कुछ नहीं कहा.

मैंने हिम्मत करके भाभी की एक चूची के निप्पल को दबा दिया.

यार, क्या बताऊं … मजा आ गया.

कमाल की बात यह थी कि अंगूरी भाभी ने फिर भी कुछ नहीं कहा.

अब मुझे समझ आ गया कि इस भाभी की चूत लेना आसान हो गया है.
लेकिन मुझे सही मौका नहीं मिल रहा था कि मैं अंगूरी भाभी को पकड़ कर चोद डालूँ.

पंडिताइन भाभी को भी अब शक हो गया था कि मैं अंगूरी को चोदना चाहता हूँ.

इधर मैं तो बस सही समय का इंतज़ार कर रहा था.

अब सर्दियों का मौसम आ गया था.
सुबह के समय डेरी पर सन्नाटा छाने लगा था.

दूध लेने वाले ग्राहक आते, दूध लेकर चले जाते और फिर वहां कोई नहीं रहता था.

मैंने मन ही मन अंगूरी भाभी को चोदने का पक्का इरादा कर लिया.

मैंने पता लगाया कि अंगूरी भाभी कहां सोती हैं.
ढूँढने पर मुझे मालूम हुआ कि वे अन्दर वाले कमरे में अकेली सोती है.

बस दोस्तो, अगली सुबह 7 बजे मैं चुपके से अंगूरी भाभी के कमरे में घुस गया.

उधर मैंने देखा तो अंगूरी भाभी बेफिक्र होकर सो रही थी. ऐसी सर्दी में भी मैं सिर्फ़ अंडरवियर पहने था और मेरा लंड फड़फड़ा रहा था.

मैंने धीरे से अंगूरी भाभी की रजाई उठाई और अन्दर घुसकर उनके ऊपर चढ़ गया.

वे एकदम से जाग गईं और बोलीं- कौन है?
मैंने जल्दी से भाभी का मुँह बंद किया और कहा- अंगूरी भाभी, यह मैं हूँ!

वे समझ गईं कि मैं चोदने आया हूँ.

मैंने भाभी का पेटीकोट ऊपर करते हुए हटाया और अपनी अंडरवियर उतारकर लंड उनकी चूत पर फिट कर दिया.

उससे पहले मैंने लंड और चूत पर थूक लगाकर चिकना कर लिया था.

मैंने अंगूरी भाभी के दूध (स्तन) पकड़े और धीरे-धीरे लंड अन्दर घुसा दिया.

अंगूरी भाभी तो लंड खोर थीं और चुदाई के लिए मस्त औरत लगती थीं.

भाभी ने मजे से मेरा लंड ले लिया. मैंने फिर जोर का झटका मारा, तो पूरा लंड उनकी चूत में समा गया.

वे ‘आह’ कह कर मुझे अपने मम्मों से चिपका कर आह आह करने लगीं और मुझे चूमने लगीं.

बस, फिर क्या था … मैंने भाभी को कसकर पकड़ा और दे दना-दन, दे दना-दन चोदने लगा.

सच में अंगूरी भाभी को चोदने में इतना मज़ा आया कि मैं रुका ही नहीं.

अंगूरी भाभी भी टांगें उठा कर चुदवाती रहीं.
उन्हें भी अपनी फटी हुई चुत में नया जवान लंड मिला था, तो वे मजे ले रही थीं.

काफी तेज़ी से चुदाई करने के बाद मेरा सारा वीर्य उनकी चूत में ही निकल गया.

कुछ देर बाद मैंने लंड बाहर निकाला और साफ़ किया.

अंगूरी भाभी के पेटीकोट को भी ठीक किया और उन्हें चुम्मा देकर चुपके से कमरे से बाहर निकल गया.

मैं इधर उधर देखता हुआ डेरी पर वापस आ गया.

इसके कुछ दिन बाद मैंने फिर से अंगूरी भाभी को चोदा.

जब पंडिताइन भाभी को पता चला कि मैंने अंगूरी भाभी को चोद लिया है तो उन्होंने मुझसे कहा- अंगूरी को चोदकर मज़ा ले लिया … है ना?
मैंने हंसकर जवाब दिया- अब तुम्हारी भी बारी है भाभी!

उस दिन के बाद अंगूरी भाभी और मेरी मुलाकातें बढ़ने लगीं.
हर बार जब डेरी पर सन्नाटा होता, मैं चुपके से अंगूरी भाभी के पास चला जाता.

वे भी अब मुझसे खुल कर चुदवाने लगी थीं.

एक दिन उन्होंने मुझसे कहा- तू तो बड़ा शैतान है! हर बार चुपके से आ जाता है!
मैंने हंसकर जवाब दिया- अंगूरी भाभी, आपके बिना मज़ा ही नहीं आता!

हम दोनों अब एक-दूसरे के साथ मस्ती करने लगे थे.
कभी-कभी वे मुझे चिढ़ाने लगतीं- दूध बाँटने आया है या कुछ और करने?

मैं भी हंसते हुए कह देता- दूध तो बहाना है, असली माल तो आपकी चुत है!
हमारी ये नोक-झोंक धीरे-धीरे और गहरी दोस्ती में बदल गई.

एक बार सर्दियों की रात थी. ठंड इतनी थी कि हड्डियां जम रही थीं.
मैंने सोचा कि आज तो अंगूरी भाभी के पास जाना ही चाहिए.

मैं चुपके से भाभी के कमरे में घुसा.
वे रजाई में दुबकी हुई थीं.

मैंने धीरे से रजाई उठाई और उनके पास लेट गया.

वे चौंककर बोलीं- अरे, तू फिर आ गया? ठंड में भी चैन नहीं है!
मैंने कहा- भाभी, ठंड में तो आपको मुझे और गर्म करना पड़ेगा!

उस रात हम दोनों ने फिर से चुदाई की मस्ती की.
भाभी की दोनों टांगें फैला कर मैंने लंड पेल दिया और धकापेल चुदाई चालू कर दी.

भाभी चुदवाती हुई कह रही थीं कि सच में आज ठंड बहुत ज्यादा थी तो मुझे भी तेरी याद आ रही थी.
मैं हंस कर बोला- भाभी आपके दिल की बार मुझे पता चल जाती है!

अंगूरी भाभी अब पूरी तरह खुल चुकी थीं. वे भी गांड उठाती हुई चुदवाने के मजे लेने लगी थीं.
उन्होंने मुझसे कहा- तू तो बड़ा तेज़ है! इतनी जल्दी सब सीख लिया!

मैंने हंसकर जवाब दिया- गुरु तो आप हो भाभी, मैं तो बस आपका चेला हूँ!
भाभी हंस कर बोलीं- पंडिताइन को भी सब पता चल गया है.

मैंने कहा- तो आप कहो न, पंडिताइन भाभी को भी चोद देता हूँ.
अंगूरी भाभी मुझे चूमती हुई बोलीं- लाला पहले मुझे चोद, उसकी चुत बाद में चोद लेना!

एक दिन पंडिताइन भाभी ने मुझे अकेले में पकड़ा और बोलीं- अंगूरी के साथ तो तू रोज ही मज़े ले रहा है, मेरे बारे में क्या ख्याल है?

मैं भाभी की चुदास देख कर हैरान हो गया.
मैंने सोचा, ये भाभी तो अब खुलकर बोल रही हैं, तो काम लगा ही देता हूँ.

मैंने हंसकर कहा- पंडिताइन भाभी, आप भी कम नहीं हो … बस आप मौका दो तो आपकी खुजली भी मिटा दूंगा!
पंडिताइन भाभी ने हंसते हुए कहा- देख, ज्यादा उड़ मत! अंगूरी को तो तूने पटा लिया, लेकिन मुझे पटाने में तुझे मेहनत करनी पड़ेगी!

मैंने मन ही मन सोचा, ये तो चुनौती दे रही हैं.
अब तो इन भाभी को भी कब्जे में करना पड़ेगा.

उसके बाद मैंने पंडिताइन भाभी के साथ भी जब तब बातचीत करना शुरू कर दी.
वे भी मस्ती भरे अंदाज़ में बात करती थीं.
उनका फोन नंबर भी मेरे पास आ गया था और वे मुझसे फोन पर भी बात कर लेती थीं.

एक दिन डेरी पर कोई नहीं था.

मैंने मौका देखकर पंडिताइन भाभी को फोन लगाया और उनसे कहा- आज तो मैं आपको छोड़ूँगा नहीं!
वे हंसकर बोलीं- अरे, इतनी जल्दी? पहले मेरे लिए कुछ तो कर!

मैंने कहा- बोलो न भाभी, क्या चाहिए? दूध, मलाई, या कुछ और?
पंडिताइन भाभी ने हंसकर जवाब दिया- तू तो बड़ा चालाक है! ठीक है, आज रात मेरे घर आ जाना. फिर देखती हूँ कि तुझसे मलाई लेनी है या रबड़ी!

मैंने मन ही मन सोचा कि अब तो खेल और मज़ेदार होने वाला है.

उस रात मैं फिर से डेरी पर अपना काम करने गया.
उसी वक्त पंडिताइन भाभी आईं, उस वक्त वे अकेली थीं.

उन्होंने आते ही मुझसे कहा- कैसे हो मेरे शेर! आज तो मैं इधर अकेली हूँ, अब बता क्या करेगा?
मैंने हंसकर जवाब दिया- पंडिताइन भाभी, आज रात में आपको मैं कभी न भूलने वाला मज़ा दूँगा! बस चुत गीली रखना, आते ही पेल दूंगा.

भाभी ने हंसते हुए कहा- देखते हैं, तेरा हथियार कितना दमदार है!

उस रात मैंने पंडिताइन भाभी के साथ भी वही मस्ती की, जो अंगूरी के साथ करता था.
रात को मैं अंधेरे में उनके घर के बाहर गया और देखा तो दरवाजा यूं ही उड़का था.

मैं दबे पाँव अन्दर घुस गया और इधर उधर देखने लगा कि भाभी किस कमरे में होंगी.

तभी एक हाथ आगे आया और मुझे पकड़ कर एक तरफ खींचा.
मैंने देखा तो पंडिताइन भाभी थीं.
वे पूरी नंगी थीं.

भाभी ने एक कोने में एक दरी बिछाई हुई थी.
उधर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतारे और मुझे नीचे लिटा कर मेरे लौड़े पर चढ़ गईं.

भाभी ने कुछ देर मेरे लंड की सवारी की और झड़ गईं.

मेरा लंड अभी तक फनफना रहा था.
मैंने भाभी को अपने नीचे लिया और उनकी चुत में लंड पेल कर धकापेल चुदाई शुरू कर दी.

वे भी टांगें उठा कर मेरे लंड के मजे ले रही थीं.

उन्होंने मुझसे कहा- तू तो सचमुच बड़ा पहलवान है! दोनों को एक साथ संभाल रहा है!
मैंने हंसकर जवाब दिया- जब तुम जैसी भाभियां मेरी उस्ताद हैं, तो शागिर्द को भी तो कुछ मस्त करना ही पड़ता है!

अब डेरी मेरे लिए सिर्फ़ दूध बेचने की जगह नहीं थी.
यह मेरी मस्ती और मज़े की जगह बन चुकी थी.

अंगूरी भाभी और पंडिताइन भाभी दोनों मेरे साथ खुलकर मज़ाक करती थीं.

कभी-कभी दोनों एक साथ मुझे चिढ़ातीं- अरे, ये तो दोनों का मालिक बन गया!
मैं भी हंसकर जवाब देता- मालिक नहीं, बस आप दोनों का दीवाना हूँ!

एक दिन अंगूरी भाभी ने मुझसे कहा- सुन, अब ज्यादा उड़ मत. अगर किसी को पता चल गया, तो डेरी बंद हो जाएगी!
मैंने हंसकर जवाब दिया- अंगूरी भाभी, आप फिक्र मत किया करो. ये राज़ सिर्फ़ हमारे बीच रहेगा!
उन्होंने हंसते हुए कहा- देख, हां तू बड़ा चालाक है और मुझे तुझ पर भरोसा है!

कुछ दिनों बाद डेरी पर एक नया लड़का काम करने आया.
उसका नाम था रमेश.

वह भी बड़ा चालाक था.
उसने कुछ ही दिनों में अंगूरी भाभी और पंडिताइन भाभी के साथ हंसी-मज़ाक शुरू कर दिया.

मुझे उससे जलन होने लगी.
मैंने सोचा, ये तो मेरी पिच पर खेलने आ गया!

एक दिन मैंने रमेश को अकेले में पकड़ा और कहा- सुन बे भोसड़ी वाले, ज्यादा उड़ मत. अंगूरी भाभी और पंडिताइन भाभी मेरी सैटिंग हैं!
रमेश ने हंसकर जवाब दिया- अरे भाई, तू तो गुस्सा हो गया! ठीक है, मैं पीछे हट जाता हूँ. लेकिन तू भी संभलकर करना. ये दोनों बड़ी चालाक हैं!

मैंने मन ही मन सोचा, ये तो सही कह रहा है. मुझे अब और सावधान रहना होगा.

एक दिन पिताजी ने डेरी बंद करने का फैसला कर लिया.
उन्होंने कहा- अब ये धंधा ठीक नहीं चल रहा. इसे बंद करना पड़ेगा. अब इसे शहर में लगाएंगे.

शहर जाने की यह खबर मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं थी.
अंगूरी भाभी और पंडिताइन भाभी के साथ मेरी मुलाकातें अब खत्म होने वाली थीं.

आखिरी दिन मैंने अंगूरी भाभी से कहा- आज तो आपको यादगार मज़ा दूँगा!
उन्होंने हंसकर जवाब दिया- तू तो बस बातें करता है! चल, दिखा तेरा जादू!

उस दिन हमने फिर से वही मस्ती की. पंडिताइन भाभी ने भी मुझसे कहा- अब तू जा रहा है, लेकिन हमें नहीं भूलना!
मैंने हंसकर जवाब दिया- आप दोनों को भूलना तो नामुमकिन है!

अब मैं 30 साल का हूँ. गांव की डेरी बंद हो चुकी है.
अंगूरी भाभी और पंडिताइन भाभी कहीं और चली गई हैं.
लेकिन उनकी यादें मेरे दिल में आज भी ज़िंदा हैं.

जब भी मैं उस वक्त की भाभियों की चुदाई को याद करता हूँ, मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.

दोस्तो, यह सेक्स कहानी बिल्कुल सच्ची है. इसमें कोई बनावटीपन नहीं है.
जल्द ही एक और सच्ची सेक्स कहानी आपके सामने लाऊंगा.
तब तक के लिए बाय!

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