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Kamvasna

Bhabhi Chudai Kahani

लैंडलार्ड की बीवी को लंड की जरूरत थी

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Bhabhi Chudai Kahani में मैं किराए के कमरे में रहता था. एक दिन लैंडलार्ड की बीवी के साथ मैं मेट्रो में था. उसने बताया कि वह अपने विवाहित जीवन से खुश नहीं है.

कामवासना के सभी पाठकों/पाठिकाओं को मेरा नमस्कार!
मैं पिछले कई वर्षों से यहां नियमित पाठक रहा हूँ. लंबे समय से अपनी कहानी लिखना चाहता था.

यह मेरी पहली कहानी है. यदि कोई भूल हो, तो आप मुझे मेल में शिकायत या सुझाव दे सकते हैं.
यह सेक्स कहानी एक जवान भाभी की है, जिन्होंने अपनी वासना को पूरा करने के लिए एक सहारा ढूंढा.

चलिए, अब मैं आपको अपनी वास्तविक घटनाओं पर आधारित Bhabhi Chudai Kahani की ओर ले चलता हूँ.

मेरा नाम रवि है और मैं मूलतः लखनऊ का रहने वाला हूँ. अपने बारे में बताऊं तो मैं एक सामान्य नवयुवक हूँ.
मेरा कद 5 फुट 3 इंच है और मेरा लिंग 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.

यह कहानी तब शुरू होती है जब मैं अपनी उच्च शिक्षा के लिए नया-नया लखनऊ आया था.
लखनऊ आकर मैंने अपने लिए एक कमरा ढूंढा, जहां मुझे रहने में असुविधा न हो.

भाग्यवश मुझे एक ऐसी फैमिली में रहने का अवसर मिला जहां मकान मालिक के तौर पर सिर्फ़ एक बूढ़ी अम्मा रहती थीं.
उनका एक बेटा और बहू ही उनका सहारा थे.

बेटा रियल एस्टेट के काम में लगा था और बहू पेशे से टीचर थी.
मैं उन्हें भैया और भाभी कहकर बुलाता था.
भाभी का नाम शीतल था.

वहां मेरे लिए पढ़ने के लिए अनुकूल माहौल था, क्योंकि सारा दिन घर में शांति रहती थी क्योंकि दिन भर अम्मा ही घर में रहती थीं, तो किसी तरह का कोई शोरगुल नहीं होता था.

एक दिन भैया ने मुझसे कहा- चलो, सब लोग कहीं घूमने चलते हैं!
पहले तो मैंने पढ़ाई का बहाना बनाया.
लेकिन जब उन्होंने जोर दिया तो मैंने सोचा कि चलो, चला जाता हूँ!

वैसे भी, जब कोई बड़ा जोर देकर कुछ कहता है, तो मैं मना नहीं कर पाता हूँ.

रविवार का दिन तय हुआ.
लेकिन न जाने कहां से भैया को सुबह-सुबह अचानक काम आ पड़ा.

उन्होंने भाभी से मेरे साथ जाने को कहा. उन दोनों में हल्की-सी नोंक-झोंक भी हुई.

भाभी बोलीं- कभी भी तुम्हारे पास मेरे लिए समय ही नहीं है! सिर्फ़ काम, काम और काम!

मैं चुपचाप खड़ा था.
कर भी क्या सकता था?

खैर, भाभी ने मुझसे कहा- तुम मेरे साथ चलो!
मैंने हामी भरी.

हमने मेट्रो ली.

मेट्रो में बैठते ही कुछ दूर बाद भाभी ने मेरे कंधे पर सिर रखकर जोर-जोर से सुबकना शुरू कर दिया.

मैंने कई बार पूछा- अचानक क्या हो गया भाभी?
मेरे बहुत पूछने पर उन्होंने बताया कि कई महीनों से उन्हें शारीरिक सुख नहीं मिला.

बोली- तुम्हारे भैया काम से आने के बाद थक कर सो जाते हैं. मेरी जिंदगी सिमट-सी गई है. मैं किसी से कुछ कह भी नहीं पा रही हूँ!

मैं समझ नहीं पाया कि इस पर क्या प्रतिक्रिया दूँ, क्योंकि मैं उनके लिए गलत सोच भी नहीं सकता था.

लेकिन अगले ही पल उन्होंने कहा- अगर भैया की जगह तुम होते, तो क्या तुम भी यही करते?

मैंने सोचकर कहा- बिल्कुल नहीं! हर इंसान को शारीरिक सुख का हक है!
इस पर उन्होंने तुरंत पूछा- क्या तुम मुझे मेरे हिस्से का सुख दे सकते हो?

यह सुनकर मुझे तो काटो तो खू/न नहीं!

मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- म … मैं कैसे भाभी?
उन्होंने तपाक से जवाब दिया- क्यों, तुम मर्द नहीं हो?

बात मर्दानगी तक आ पहुंची थी!
मैंने यह सुना तो भाभी को आप से तुम बोलते हुए कहा- अगर ऐसा है, तो मौके की तलाश शुरू कर दो! मैं तुम्हें हर वो सुख दूँगा, जो तुम्हें नहीं मिला!

यह सुनते ही भाभी खुश हो गईं और उन्होंने मुझे मेरे गाल पर चुम्मी दे दी.

इसके बाद हम दोनों ने मूवी देखी और चिपका चिपकी भी खूब की, पर मैंने उनके साथ ऐसी एक भी हरकत नहीं की, जिससे उन्हें लगे कि मैं आवारा किस्म का लड़का हूँ और लड़की की हामी मिलते ही उसके दूध दबा दूंगा या चुत में उंगली करने लगूँगा.

जबकि भाभी एकदम से चुदासी रांड जैसा व्यवहार कर रही थीं, वे सिनेमा हॉल में पूरे समय मेरे सीने पर हाथ फेरती रहीं और एक दो उन्होंने ड्रामा करते हुए मेरे लंड को भी टटोला.
पर मैंने कुछ नहीं किया.

हम दोनों बस घूमकर वापस आ गए.

अब एक सप्ताह बीत गया, पर मौका नहीं मिला.

कहते हैं न, देर है पर अंधेर नहीं!
मौका मिला अगले रविवार को.

उस दिन भैया को अम्मा को लेकर उनके गांव जाना था.
उन्होंने भाभी से घर का ख्याल रखने को कहा और अगले दिन लौटने की बात कही.

वे अम्मा के साथ चले गए.

उनके जाते ही भाभी तनतनाती हुई मेरे कमरे में घुस गईं और मुझे पीछे से पकड़ कर मेरी गर्दन पर चूमने लगीं!

मैं समझ गया कि आज वह वक्त आ ही गया, जिसका मुझे एक हफ्ते से इंतज़ार था!

भाभी को अपने सामने लाकर मैंने उन्हें फ्रेंच किस करना शुरू किया.

मुझे जोर-जोर से फ्रेंच किस करना पसंद है क्योंकि इससे सामने वाले की वासना और भड़क उठती है और सब्र का बाँध टूट जाता है.

इसके बाद मैंने उनके गले और कान की लौ पर चूमना शुरू किया.

वे पिघल-सी गईं और जोर-जोर से आहें भरने लगीं.

थोड़ी देर में उन्होंने मुझसे अपने रूम में चलने को कहा क्योंकि वहां ज्यादा सुरक्षित था और बाहर आवाज़ जाने का डर भी नहीं था.

कमरे में जाते ही भाभी भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ीं और झट से मेरे सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए.

उन्होंने लोअर और टॉप पहन रखा था.
मैंने धीरे से पहले उनका टॉप उतारा, तो काली ब्रा में 36 के आकार के अमृत कलश दिखाई दिए.

यकीन मानिए, मैंने इतने सुंदर वक्षस्थल पहले कभी नहीं देखे थे!
मैंने ब्रा के ऊपर से उन्हें चूमना शुरू किया.

भाभी पागल-सी हो रही थीं!
उन्होंने तुरंत अपनी ब्रा खुद ही खोल दी और मुझे याद है कि भाभी ने पहले अपना बायां दूध मेरे मुँह में दे दिया!

मैंने उनके गुलाबी निप्पल पर जीभ फेरकर चूसना शुरू किया.
फिर कभी दायां, कभी बायां निप्पल चूस-चूसकर मैंने उन्हें पागल कर दिया.

मैं पहले से ही लगभग नग्न था.
अब बारी थी मेरे अंडरवियर की.

उन्होंने उसे उतारने की कोशिश की.

आपको पता है, जब लंड तनाव में होता है, तो अंडरवियर उतारने में दिक्कत होती है.

वही हुआ!

जैसे-तैसे भाभी ने मेरा टाइट अंडरवियर उतार कर हटाया तो उन्हें मेरा लहराता हुआ 6 इंच लंबा लौड़ा दिखा.

मोटा लंड देख कर भाभी की आंखों में चमक-सी आ गई.

भाभी बोलीं- वाह … इतना प्यारा सामान! ये मेरे लिए ही बना है!

वे गप से उसे मुँह में लेने का प्रयास करने लगीं!
लंड मुँह में लेते ही मैं सातवें आसमान पर था! यह मेरा पहला ब्लोजॉब अनुभव था.

ये सुख वही जानता है, जो इसे भोग चुका हो!

अगले ही पल मैंने भाभी के बचे हुए कपड़े भी उतार दिए.
मैंने भी उनकी टांगों के जोड़ को देखा, तो उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.

मैंने चुत पर हाथ फेर कर अपने हाथ को सूंघा और चूमा तो वे हंस दीं.

मेरे पूछने पर ही उन्होंने बताया कि मौके की तलाश में उन्होंने हर दूसरे दिन सफाई की थी.

मुझे हमेशा से चिकनी चूत बहुत पसंद है!
मैंने उन्हें बेड पर सीधा लिटाकर टांगें उठाईं और चूत चाटना शुरू कर दिया.

भाभी को चुत चटवाने में इतना आनन्द आ रहा था कि उन्होंने दोनों टांगें मेरी गर्दन में लपेट ली थीं.

मैंने उनकी चूत चाटना तभी बंद किया, जब वे जल बिन मछली की तरह तड़पने लगीं!

अब वे मिन्नतें करने लगीं- कैसे भी करके लौड़े को अन्दर कर दो!

मैंने भी देर न करते हुए एक बार फिर से लंड को भाभी के मुँह में देकर उसे चिकना किया और भाभी को सीधा लिटाकर दो उनकी गांड के नीचे तकिए सैट कर दिए.

भाभी की पकौड़ी सी चुत मस्त लग रही थी.

मैंने लंड चुत में अन्दर करने की सोची और पुश किया … लेकिन लंड अन्दर गया ही नहीं!
ये मेरे लिए एक अचरज भरी बात थी कि यह क्या सीन है!

भाभी की चूत इतनी कसी हुई थी कि लगा, जैसे कोई नई नवेली दुल्हन की सील बंद चूत हो!
वे बोलीं- जिसे इसका ख्याल रखना है, वह ध्यान दे, तब ये सही रहती है. अब तो तुम्हें ही देखना है!

मैंने हल्का-सा धक्का लगाया और लंड का टोपा अन्दर सरक गया.
भाभी ‘आह आई मर गई!’ की आवाज़ निकालने लगीं.

मैंने प्यार से उनके सिर पर हाथ फेरकर कहा- ये दर्द भी यादगार रहेगा! प्लीज अनुमति दो न भाभी जी!
उन्होंने अनुमति दे दी.

अगले ही पल मैंने बिना ढील दिए दूसरा झटका दे मारा.
भाभी कसमसा उठीं और उनकी पीड़ा उनके चेहरे पर साफ साफ दिखाई देने लगी.

मैंने नीचे हाथ लगा कर लंड को देखा कि वह कितना अन्दर है और कितना बाकी है तो मुझे कुछ गर्म गर्म सा तरल पदार्थ सा महसूस हुआ.

मैं समझ गया कि हो न हो यह भाभी की चुत से निकला लाल पानी है.

मैंने उधर ही बिस्तर से हाथ को रगड़ा और उन्हें चूमने लगा.
वे भी दर्द से कराह रही थीं और मेरे सीने से लिपटी हुई थीं.

मैंने थोड़ा हिल कर देखा कि लंड कितना अन्दर हुआ है तो पाया कि मेरा लंड काफी हद तक भाभी की चुत के अन्दर जा चुका था.

इस बार मैंने जरा सा उठ कर लंड को बाहर खींचा और तीसरे बम पिलाट झटके में चुत की मां चोद दी.
मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया था!

भाभी की आंखों में आंसू थे, पर उन्होंने धीरे से कराहते स्वर से ‘थैंक्यू.’ कहा!

मैंने उनकी प्रतिक्रिया देखी और धक्कों की गति बढ़ा दी.
कुछ ही धक्कों बाद भाभी की दुख तकलीफ भरी हालत खत्म हो गई.

उन्हें चुदाई में मजा आने लगा और वे भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरे साथ सेक्स का मजा लेने लगीं.

हम दोनों ने कुछ मिनट तक इसी पोज में सेक्स किया, फिर मैंने कहा- भाभी पोज बदलना चाहोगी?
वे हंस कर बोलीं- हां कुतिया बना कर चोदो.

इस तरह हम दोनों ने डॉगी स्टाइल में सेक्स करने की सोची.

भाभी की चुत में पीछे से लंड पेलना मुझे बेहद सुखद लगा.
उनकी चूचियों को मसलते हुए चुदाई करने में तो जन्नत का सुख मिल रहा था.
इसके बाद अलग-अलग पोज में हम दोनों ने लगभग 20 मिनट तक चुदाई की.

भाभी ने मेरे लौड़े की सवारी का आनन्द भी उठाया और वे मुझे अपने दूध चुसवाती हुई मेरे लौड़े पर सवारी का मजा लेती रहीं.

भाभी ने लंड के हर झटके में मजे की आवाज़ निकाली.

अब मेरे निकलने का समय हो चला था.
मैंने भाभी को बताया.
Xx Xxx भाभी बोलीं- मैं नीचे आ जाती हूँ और बिना एक बूंद खोए, मैं पूरे वीर्य को अपनी चुत के अन्दर ही लेना चाहूँगी!

अगले ही पल भाभी मेरे नीचे आ गईं और मैंने तेज तेज झटके मार कर अपने चरम को पा लिया.
भाभी की चूत वीर्य से भरी थी.

प्यासी विवाहिता की चूत चुदाई संपन्न हुई.

मैं झड़ कर उनके ऊपर ही लेट गया.
जब हटा, तो वीर्य उनकी चूत से रिस रहा था.

भाभी ने मुझे फिर से गले लगाया और कहा- आज तुमने वह दिया, जिसके लिए मैं महीनों से तड़प रही थी!

उस रात मैंने भाभी की जमकर तीन बार चुदाई की, लगभग हर उस पोज में, जो संभव था!

एक रात उन्होंने अपनी एक सहेली का परिचय दिया.
कैसे उन्होंने मुझसे उसका मिलन कराया, वह सेक्स कहानी फिर कभी!

कैसी लगी आपको मेरी ये सच्ची सेक्स कहानी!
Bhabhi Chudai Kahani पर आप अपनी राय नीचे दी गयी मेरी मेल आईडी पर मुझे जरूर दें, धन्यवाद!
kamvasnastories69@gmail.com

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