Sex With Bhabhi का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस में रहने वाली एक भाबी को पटा कर! उसने मुझे किसी काम से अपने घर बुलाया था.
दोस्तो, आज मैं आपको अपनी पड़ोसन की चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ.
ये Sex With Bhabhi की घटना बिलकुल नयी और ताज़ी है तो मैंने सोचा कि आप लोगों के साथ इस सेक्स कहानी को शेयर करूँ.
जब मैं कामवासना और फ्री सेक्स कहानी पर लेखकों की कहानियां पढ़ता हूँ तो मुझे लगा कि मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि मैं भी आपके साथ अपनी भी कहानी शेयर करूँ.
मैं दिल्ली में रहकर पढ़ाई करता हूँ.
अभी 22 साल का नौजवान हूँ, काफी आकर्षक भी हूँ.
मुझे लड़कियों या भाभियों को घूरना बहुत ही अच्छा लगता है पर तब तक मैंने कभी चुदाई नहीं की थी.
कभी मौका ही नहीं मिला था.
पर आज तो मानो मेरी किस्मत का दरवाजा ही खुल गया था.
मैं आज अकेला कमरे में बोर हो रहा था, तभी किसी ने मेरे घर का दरवाजा खटखटाया.
मैंने जाकर देखा तो सामने वाली भाभी आई थीं.
मुझे देखते ही भाभी बोलीं- भैया अगर आप फ्री हो, तो क्या मेरे घर की बालकनी में लाइट लगा दोगे? आपको तो पता ही होगा कि ये अक्सर घर में नहीं होते हैं.
इतना कह कर भाभी जी तनिक चुप हुईं और वापस कहने लगीं कि मेरा मतलब मैं अपने हस्बैंड के बारे में कह रही थी.
मैंने कहा- हां हां, समझ गया भाभी जी!
अब भाभी जी मुस्कुराईं और आगे बोलने लगीं- दरअसल वे कंपनी के काम से विदेश गए हैं. मैं घर में अकेली हूँ, इसलिए मैंने आपसे कहा. मुझे लाइट लगानी नहीं आती है और मैं मार्किट से लाइट ले आई. अब दीवाली का त्योहार है तो लाईट तो लगाना ही होता है न!
मैंने कहा- हां हां क्यों नहीं, मैं लगा देता हूँ न भाभी जी.
मैं भाभी के साथ उनके फ्लैट में चला गया.
मेरा दरवाजा और उनका दरवाजा सामने ही था.
मेरी पड़ोसन का नाम सोनी है.
सोनी भाभी गजब की सुन्दर हैं, उनके बड़े बड़े चूचे हैं, चौड़ी गांड, सुराही की तरह कमर, रंग से एकदम दूध सी गोरी, लाल लाल होंठ, लम्बे बाल उनकी गांड तक लहराते हैं.
भाभी बहुत ही सुन्दर माल लगती हैं.
मैंने जब से सोनी भाभी को देखा था, तब से मैं उनकी याद में अनेकों बार मुठ मार चुका हूँ.
आज जब भाभी जी ने कहा- तुम्हारे भैया विदेश गए हैं तो मुझे एक छिपा हुआ निमंत्रण सा लगा.
मैं उनके यहां लाइट लगाने लगा.
उस समय भाभी नाइटी पहनी हुई थीं.
उन्होंने अपनी नाइटी के अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, इस वजह से उनकी चूचियां मस्त हिल रही थीं.
उनके बाल खुले हुए थे, तो जब भाभी बार बार अपने लम्बे बालों को झटक कर पीछे कर रही थीं, तो एक साथ दो काम हो रहे थे.
एक तो उनके चूचे हिल कर फुलटॉस बॉल के जैसे मेरे कलेजे को चीर रहे थे. दूसरे उनकी सुराही सी कमर लचक कर मेरे लौड़े को घायल कर रही थी.
सच में आज तो भाभी क़यामत की तरह लग रही थीं.
मुझे सोनी भाभी को देख कर रहा नहीं जा रहा था.
मेरा जवान लंड खड़ा तो था ही, साला बार बार फुफकार भी मार रहा था.
मुझे उनको चोदने का मन करने लगा.
लाइट लगाते हुए ही मैंने भाभी की तारीफ करनी शुरू कर दी.
मैंने कहा- भाभी जी, भैया भी कहां आपको इस दीवाली में छोड़कर चले गए! ऐसे उनको जाने मत दिया करो … या आप भी उनके साथ चली जाया करो. क्योंकि इंसान को सब कुछ बार बार मिल सकता है, जवानी नहीं मिलती!
भाभी जी बोलीं- हां, आपकी इस बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ. जितनी मस्ती करना है, अभी उम्र रहते कर लेनी चाहिए, फिर मौका नहीं मिलता है.
मैंने कहा- हां भाभी आप सही कह रही हैं.
अब भाभी बोलीं- पर आपको इस सबका अहसास कैसे हो गया है? आपकी तो अभी शादी भी नहीं हुई है?
मैंने कहा- अरे भाभी जी, कई चीजों का अहसास और अनुभव तो आजकल सोच कर ही हो जाता है!
भाभी बोलीं- आप हो बड़े होशियार, खैर … दिल्ली में कोई आपकी गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैंने कहा- नहीं भाभी, फिलहाल तो कोई नहीं है!
भाभी बोलीं- अरे किसी को पटाया ही नहीं है?
मैंने कहा- मुझे पता ही नहीं है कि कैसे पटाते हैं! उसे पटाने के लिए कैसे और क्या बोलते हैं!
भाभी बोलीं- चलो, मैं बताती हूँ. समझ लो कि मैं आपकी गर्लफ्रेंड हूँ, आप मेरे से पटाने वाली बात करो!
मैंने कहा- कैसी हो डियर, आजकल दिखती नहीं हो!
भाभी बोलीं- चुप हो जा, मैं ऐसी-वैसी लड़की नहीं हूँ!
मैंने कहा- फिर कैसी हो?
भाभी बोलीं- मैं सीधी सादी भारतीय लड़की हूँ, जो सिर्फ अपने पति के लिए ही बनी हूँ!
मैंने कहा- ओये जान, एक बार आजमा कर तो देख लो! मैं स्पेशल लड़का हूँ!
भाभी बोलीं- और तेरे में वह स्पेशल क्या है?
मैंने कहा- ये तो आजमा कर ही पता चलेगा, मैंने तुम्हें बहुत खुश रखूँगा!
भाभी चुप हो गईं.
मैंने कहा- क्या बात है, भाभी बुरा लग गया क्या?
भाभी बोलीं- नहीं नहीं, बस यूं ही चुप हो गई. मैं भी यही चाहती थी अपनी ज़िंदगी में कि कोई मुझे खुश रखे. पर मेरा पति मुझे प्यार ही नहीं करता है. मुझे किसी चीज की कमी नहीं है, बस प्यार की कमी है. मेरा पति किसी और औरत के चक्कर में है, वह उसी के साथ हर त्योहार में रहता है. आज वह किसी होटल में रंगरेलियां मना रहा होगा.
यह कह कर भाभी जी रोने लगीं.
मैंने समझ लिया कि मामला उस तरफ से पटने वाला है, बस मुझे ही जरा आगे बढ़ना होगा.
तब मैंने उनके नजदीक जाकर कहा- रोने से काम नहीं चलेगा, आप खुश रहा करो भाभी जी. आप इसके लिए सोचो कि क्या करना है. ऐसे काम नहीं चलेगा, ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसलिए इंसान को खुद को खुश रखना चाहिए.
यह कहते हुए मैंने उनका सर अपने कंधे पर टिका लिया और पीठ को सहलाते हुए उन्हें सांत्वना देने लगा.
उन्होंने भी मुझे पकड़ लिया.
अब मेरी बांहों में एक जवान औरत थी, जिसकी चूचियां मेरे सीने से चिपकी हुई थीं.
मैंने पहली बार किसी औरत को अपने इतना करीब पाया था.
बस फिर क्या था मैंने सही से भाभी को अपने सीने से लगा लिया और कब हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे, कुछ पता ही नहीं चला.
देखते ही देखते मेरी धकड़न तेज हो गईं और हम दोनों बेड पर लेट गए.
मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा और उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.
भाभी बोलीं- अरे छोड़ो!
यह कहती हुई भाभी बिस्तर से उतर कर खड़ी हो गईं.
मैंने मन में कहा कि हो गया सत्यानाश, साली जैसे तैसे तो चुत का इंतजाम हुआ था और वह भी फिसली जा रही है!
सामने से मैंने कहा- क्या हुआ भाभी जी, मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा, आप चिंता नहीं करो.
वे खड़ी रह कर एक पल को कुछ सोचने लगीं. फिर वे बाहर को गईं और इधर उधर झांक कर देखने लगीं.
कुछ देर बाद भाभी अन्दर आईं और बोलीं- चलो पहले मिठाई खाओ, दीवाली में मिठाई खाते हैं.
मैंने कहा- आप मुझे खुद अपने हाथ से खिलाओ!
वे रसगुल्ले खिलाने लगीं.
मैंने एक खाया और एक मैंने उनके मुँह में दे दिया और मैं उनके होंठ के पास जाकर बोला- मेरा रसगुल्ला मुझे वापस कर दो!
भाभी ने अपने मुँह से रसगुल्ला निकाला और अपने होंठों में फंसा लिया.
मैंने उनके होंठों से फंसा आधा रसगुल्ला काट लिया और उनके होंठों को चूमने लगा.
एक बार फिर से हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और फिर से बेड पर चले गए.
इस बार मैंने जल्दी से उनकी नाईटी खोल दी और उनके रसभरे चूचों को मसलने लगा.
अब भाभी आह आअह आअह कर रही थीं.
मैंने नीचे सरक कर देखा तो भाभी की जांघों के बीच में काली झांटों का जंगल उगा हुआ था.
झांटों के बीच में उनकी चुत की गुलाबी दरार से पानी रिस रहा था.
मैंने चुत में उंगली डाली, तो भाभी उछल गईं.
मैंने तुरंत दोनों हाथों की उंगलियों से चुत को चीर कर देखा तो उनकी लाल लाल बुर का पहली बार दर्शन हुआ.
फिर मैंने नाक लगा कर चुत को सूंघा तो आह आह्ह्ह आनन्द ही आनन्द था.
नमकीन नमकीन रस …
मैंने कहा- भाभी, आपकी बड़ी नमकीन है, इसे मीठा क्यों नहीं कर लेती हैं!
तो वे बोलीं- बुर में कोई रसगुल्ला थोड़े ना होता है!
मुझे लगा कि आज भाभी की बुर में रसगुल्ला ही डाल कर देख लेते हैं.
मैंने बाजू की टेबल से रसगुल्ला लाकर उनकी चुत के होंठों के अन्दर ठेल दिया.
अब रसगुल्ला उनकी चुत की फाँकों में फंस सा गया था.
मैं रसगुल्ला को चाटने लगा.
भाभी हंस कर बोलीं- बड़े ही शरारती हो!
मैंने कहा- आज तो आपने ही मुझे शरारती बना दिया भाभी जी!
मैं उनकी बुर में एक के बाद एक रसगुल्ला फंसा फंसा कर खाता गया और वह अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चुत से मुझे रसगुल्ला खिलाती गईं.
अब तक मेरा लंड एकदम लोहे की तरह सख्त हो गया था.
भाभी वासना भरी आवाज में बोलीं- अब मुझे भी तो कुल्फी चखाओ!
मैंने अपना मोटा काला लंड उनके मुँह में दे दिया.
वे लंड चूसने लगीं.
मुझे अजीब सी सिहरन हो रही थी.
फिर भाभी ने मुझे धक्का देकर नीचे कर दिया और अपने दोनों पैरों को अलग अलग करके मेरे ऊपर चढ़ गईं.
मैंने अपना लंड उनकी चूत के छेद पर रखा और नीचे से धक्का दे दिया.
मेरा पूरा लंड उनकी बुर में समाता चला गया.
भाभी ‘आअह आआ हआ आह आआह ओह्ह ओह्ह्’ की मादक आवाजें निकाल रही थीं और मैं उन्हें चोदे जा रहा था.
वे भी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थीं.
मैं धकापेल चोदे जा रहा था.
हम दोनों चुदाई की मस्ती में डूब चुके थे.
मैंने भाभी के एक दूध को अपने मुँह में गपक लिया और भाभी अपने दूध चुसवाती हुई मेरे लौड़े से चुत रगड़वाने में लगी रहीं.
कभी वे मेरे नीचे आकर लंड घुसवा रही थीं तो कभी मैं उनके नीचे आकर उनकी गांड मसलता हुआ उन्हें चोद रहा था तो कभी भाभी कुतिया बन कर सेक्स का मजा ले रही थीं.
इस तरह एक घंटे तक हम दोनों ने एक दूसरे को चोद कर संतुष्ट किया.
अब शाम होने लगी थी.
हम दोनों एक दूसरे को चोद कर और चुदवा कर उठे और साफ सफाई की.
फिर बिजली की लड़ी लगाई और दीवाली के त्योहार की तैयारी की.
मैं पटाखे लेकर आया और बारह बजे रात तक पटाखे छोड़े.
रात बारह बजे के बाद हम दोनों में फिर से चुदाई की शुरुआत हुई.
सुबह करीब पांच बजे तक हम दोनों ने बार बार एक दूसरे को खुश किया.
मैं थक कर भाभी के घर में ही सो गया था और हम दोनों एक दूसरे को पकड़ कर नंगे ही सोए हुए थे.
दूसरे दिन करीब बारह बजे सोकर हम दोनों उठे और अलग अलग होकर खुद को व्यवस्थित किया.
फिर मैं अपने फ्लैट में आ गया और नहा धोकर कुछ खाकर सो गया.
दीवाली का त्योहार निकल जाने के बाद मैंने न जाने कितनी बार भाभी को बजाया होगा.
मुझे भाभी की सारी जानकारी हो गई थी.
उनकी उनके पति से जरा भी नहीं बनती थी और वे मुझे एक सेक्स टॉय की तरह इस्तेमाल कर रही थीं.
मुझे भी कौन सा घाटा था.
एक अच्छी खासी चुत मेरे लौड़े की सेवा में थी, ऊपर से महीने में बीस दिन डिनर भाभी के साथ ही हो जाता था.
बहुत दिनों तक भाभी को चोदने के बाद आज मैं यह सेक्स कहानी आपके साथ शेयर कर रहा हूँ.
अभी इस Sex With Bhabhi को लिखते समय भी भाभी का मेरे पास दो बार फ़ोन आ गया- आज रात को दोनों बाहर खाना खाने चलेंगे और आज रात फिर से एन्जॉय करेंगे क्योंकि हो सकता है कल मेरे पति घर जाएंगे.
भाभी हर बार यही कह देती थीं कि उनके पति कल उनके पास आ जाएंगे, पर मुझे वे कभी भी रात में घर में रुकते हुए नहीं दिखाई दिए थे.
मैं भी भाभी की चुत में रसगुल्ला फंसा कर खाने में व्यस्त हूँ.
आपको मेरी ये Sex With Bhabhi कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे जरूर बताएं.
kamvasnastories69@gmail.com
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