Loading...

Kamvasna

padosan ki chudai

शादीशुदा पड़ोसन होटल में आकर चुदी

What did you think of this story
 100% 0%

Padosan Ki Chudai का मौक़ा मुझे तब मिला जब मेरे पड़ोस की एक भाभी ने मुझे फोन दिलवाने को कहा. मैंने उसे फोन दिलवाया और उसके फोन से अपने नम्बर पर मिस्काल कर दी.

मेरे सभी दोस्तो, आपका फिर से स्वागत है, मेरी नई, रसीली और सच्ची दिलकश सेक्स कहानी में.

मेरी पहली कहानी
पड़ोसी लड़के ने मुझे दोबारा चोदा
को इतना प्यार, सपोर्ट और लाइक देने के लिए सभी हसीन लड़कियों, मदमस्त भाभियों और मेरे प्यारे भाइयों को दिल की गहराई से शुक्रिया.

आज मैं आपके सामने एक नई भाभी की कहानी ‘Padosan Ki Chudai’ लेकर आया हूँ जो बिल्कुल सच्ची और लाजवाब है कि कैसे मैंने नई वाली भाभी को अपने जादू में फंसाया और उसके साथ रंगीन पल बिताए.

मेरा नाम तो आप जानते ही हैं … और रही बात भाभी के नाम की, तो भाभी का नाम फिर से वही अनीता.
हां, एक अनीता गई और दूसरी अनीता, यानि अनीता-2, मेरी जिंदगी में तड़का लगाने आ गई.

अब जरा भाभी के हुस्न का बयान सुनिए.
अनीता भाभी एकदम ऐसी कातिलाना माल है कि उसे देखते ही आपका दिल धक-धक करने लगे और आपका जिस्म बेकाबू हो जाए.

उसका फिगर इतना टाइट और मदहोश करने वाला है कि बस देखते ही मर्द का जोश उफान मारने लगे.
उसकी गांड इतनी कड़क और भरी हुई है कि नजर हटाने का मन ही न करे, कमर पतली और लचकदार, उफ्फ! … और उसकी नाभि? वह तो मानो किसी शायर की गजल है. देखते ही शायरी करने का मन करे.

अब बकचोदी छोड़ कर असली बात पर आते हैं.

जैसा कि आपने मेरी पिछली कहानी किराना दुकान वाली भाभी में पढ़ा था कि कैसे मैंने उस भाभी के साथ रंगरलियां मनाईं और फिर हमारा मिलन धीरे-धीरे खत्म हो गया.

दोस्तो, जब किराना वाली भाभी से दूरी हुई, तो मेरी बीवी ही मेरा सहारा बनी.

लेकिन शादी के एक साल बाद मुझे फिर से किराना वाली भाभी की याद सताने लगी.
तब मैंने अपने मोहल्ले की एक नई भाभी पर नजरें गड़ा दीं, जो आज तक मेरी दिलकश रखैल बनी हुई है.

उन दिनों काम के सिलसिले में मुझे मोबाइल दुकान पर आना-जाना पड़ता था.
मार्केट में मेरी अच्छी जान-पहचान थी.

एक दिन मेरे मोहल्ले की ये भाभी मुझे मार्केट में टकरा गई.

उसने मुझसे कहा- मुझे एक अच्छा सा एंड्रॉयड मोबाइल चाहिए.
मैंने तपाक से कहा- चलो, मेरे जानने वाले की दुकान पर चलते हैं, वहां सस्ते में बढ़िया मोबाइल दिलवा दूँगा.

उस वक्त उसके साथ उसकी पड़ोस की एक विधवा भाभी भी थी.
वे दोनों मेरे साथ मोबाइल शॉप पर आ गईं.

मैंने दुकानदार को मोबाइल दिखाने को कहा.
उसने 4-5 मोबाइल निकाल कर दिखाए.

नई अनीता भाभी ने मुझसे पूछा- आपको कौन सा पसंद है, बता दो?

मैंने अपनी पसंद का * मोबाइल सुझाया और उसने मेरी पसंद को ही चुन लिया.
दुकानदार ने कीमत बताई, जो वाजिब थी.

फिर भाभी ने मेरी ओर देखते हुए नशीली नजरों से कहा- जरा कुछ कम करवाओ ना!
मैंने दुकानदार से कहा- भाई, कम कर दे, भाभी जी मेरे मोहल्ले की ही हैं.

उसने मेरी बात मान ली, कीमत और कम की और मोबाइल पैक करके बिल बना दिया.

भाभी ने मोबाइल मुझे थमा दिया और कहा- सिम डालकर चालू कर दो.
मैंने मोबाइल ऑन किया, अपना नंबर उसमें सेव किया और अपने फोन पर मिसकॉल देकर उसका नंबर ले लिया.

फिर मैंने हल्के से भाभी को टच किया, उसके चेहरे की शरारत और मेरी आंखों की चाहत एक-दूसरे से टकरा गई.
मुझे उसकी नजरों में वही आग दिखी, जो मेरे दिल में जल रही थी.

उसके बाद भाभी अपनी सहेली के साथ घर चली गई और मैं मार्केट में रह गया.

अगले दिन मेरे पास एक मिसकॉल आई.

मैंने भाभी को कॉल किया तो उसने कहा- हां, बोलो, कोई काम है क्या?
मैंने कहा- आपकी मिसकॉल आई थी.
उसने मना किया- नहीं, मैंने तो नहीं किया.

मैंने कॉल काट दी.

फिर मैंने दोबारा कॉल की.
इस बार उसने उठाया और बोली- बोलो.

मैंने पूछा- कहां हो?
उसने कहा- घर पर हूँ.

मैंने पूछा- मोबाइल कैसा चल रहा है?
उसने जवाब दिया- बहुत अच्छा.

फिर इधर-उधर की बातें करते हुए मैंने हिम्मत जुटाई और बोल दिया- आपसे मिलना चाहता हूँ.
भाभी ने नजाकत से पूछा- कब?

मैंने कहा- जब आपको टाइम मिले.
उसने कहा- ठीक है.

यह कह कर उसने कॉल काट दिया.
इसके बाद मैं टाइम देखकर भाभी को कॉल करता रहा, बातें करता रहा और धीरे-धीरे उसे अपने प्यार के जाल में फंसा लिया.

फिर एक दिन मैंने भाभी से कहा- आज मार्केट में आ जाओ, मिलते हैं.
उसने ‘हां’ कह दिया.

दोपहर 12 बजे वह मार्केट पहुंच गई और मुझे कॉल करके बुलाया.

मैंने अपने दोस्तों को फोन किया, एक रूम का जुगाड़ किया और बाइक से भाभी के पास पहुंच गया.

फिर उसे रूम पर ले गया.
वहां हमने 15-20 मिनट तक बातें कीं.

मैं बस उसे निहारता रहा.
उसका हुस्न, उसकी अदाएं, सब कुछ मुझे पागल कर रहा था.

भाभी ने पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- इतनी हॉट भाभी मेरे सामने है, तो देखूँगा ना, यार!
वह हंस पड़ी और बोली- देख लो, अब तो मैं तुम्हारी ही हूँ.

भाभी एकदम मस्त थी.
उसके कोमल गालों पर हल्की लाली, बदन से महकता परफ्यूम और लाल साड़ी में वह किसी जन्नत की हूर लग रही थी.

उसकी अदाओं में वह कशिश थी कि नजरें हटाने का मन ही न करे.

सॉरी दोस्तो, एक बात तो मैं भूल ही गया था.
भाभी की शादी मेरी शादी से एक साल पहले हुई थी.
यानि उसकी शादी को दो साल हो चुके थे, लेकिन अभी तक उसका कोई ब/च्चा नहीं हुआ था.

दूसरी तरफ मेरा तो दो महीने का नन्हा मेहमान घर में आ चुका था.

भाभी का ब/च्चा न होना मानो उसके हुस्न को और निखार रहा था.

वह आज भी कुंवारी-सी माल लग रही थी.
उसकी लाल साड़ी, साड़ी के नीचे का टाइट ब्लाउज और ब्लाउज में कैद उसके उभरे हुए टाइट बूब्स … उफ्फ! मेरा लंड तो बस देखते ही ऐसा तन गया था जैसे अभी सलामी देने को तैयार हो.

मैंने भाभी से पूछा- भाभी, आप घर से क्या बहाना बनाकर आई हो?
वह नशीली आवाज में बोली- मैंने कहा कि मायके जा रही हूँ, कुछ डॉक्यूमेंट बनवाने. एक दिन का समय लग सकता है. कल सुबह आऊंगी. बस ऐसे ही कह कर निकल आई.

उसकी बात सुनते ही मेरा जोश और बढ़ गया.
मैंने धीरे से उसकी पतली कमर पर हाथ रखा और उसके करीब आ गया.

फिर उसके रसीले होंठों को चूमना शुरू किया.

भाभी भी मेरे जुनून में खो गई और मेरा साथ देने लगी.
उसकी सांसें तेज हो गईं और मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया.

मैंने उसकी साड़ी को हौले से ऊपर उठाया और उसके हर अंग को चूमने लगा.
भाभी का रोम-रोम मानो मुझसे कुछ कह रहा था.

वह उत्तेजना से कराहने लगी, उसकी सिसकारियां मेरे कानों में मिशरी घोल रही थीं.
मैंने धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के हुक खोले और उसके टाइट बूब्स को आजाद कर दिया.

आह … पापा कसम क्या नजारा था वह … दूध-सी गोरी चमड़ी, गुलाबी निप्पल और वह उफान मारता हुस्न!
मेरा लंड तो बस भाभी की चूत में समा जाना चाहता था, लेकिन मैंने खुद को रोका.

पहले मुझे उसे पूरा गर्म करना था.
मैं उसके बूब्स को चूसता रहा, उसके निप्पल को होंठों से सहलाता रहा.

फिर मैंने उसका पेटीकोट का नाड़ा खींचकर उसे उतार दिया.
अब मेरे सामने भाभी की लाल पैंटी थी, जो उसकी उत्तेजना से गीली हो चुकी थी.

मैंने पैंटी को हटाया और उसकी नाजुक चूत को देखता रहा.
वह गुलाब की पंखुड़ियों-सी कोमल थी, जिसमें से पानी की बूंदें रिस रही थीं. क्या बताऊं वह लम्हा … मानो जन्नत का दरवाजा खुल गया हो!

भाभी अब बेकरार होकर बोली- अब मुझे और मत तड़पाओ.
लेकिन मैं तो उसे पूरा मजा देना चाहता था.

मैंने उसकी चूत पर एक प्यारा-सा किस किया, फिर जीभ से चुत की दरार को चाटने लगा.
चुत पर मेरी जीभ का अहसास पाते ही उसकी कामुक सिसकारियां और तेज हो गईं.

मैंने धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाली … और सच में, वह अभी भी कुंवारी-सी टाइट चुत थी.
उंगली अन्दर-बाहर करते हुए मैंने उसे और गर्म किया.

भाभी ‘आह … अहह … ऊ ऊ …’ की मादक आवाजें निकालती हुई कहने लगी- अब लंड डाल दो, मुझे चोद दो!

उत्तेजना में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था और वह थोड़ी मदहोश-सी लेट गई थी.
लेकिन मेरा खेल अभी जारी था.

अब भाभी की बारी थी.
उसने मुझे नंगा किया और मेरा तना हुआ बड़ा लंड देखकर चौंक गई.

वह बोली- आज पहली बार किसी मर्द से टकराऊंगी.
फिर मेरे लंड को किस करते हुए हाथ से हिलाने लगी.

मैंने कहा- इसे मुँह में ले लो!
पहले तो वह शरमाई और बोली- मैंने कभी ऐसा नहीं किया.

मैंने थोड़ा जोर दिया, तो वह मान गई.
जैसे ही उसने मेरा लंड मुँह में लिया, मैंने धीरे-धीरे उसके मुँह की चुदाई शुरू कर दी.

भाभी को उल्टी-सी फील हुई, लेकिन मेरे कहने पर फिर से कोशिश की.
क्या नजारा था यार … मैं तो जन्नत में था!

मैं उसके मुँह में ही झड़ने वाला था पर उसे मलाई खाने की आदत न होने की वजह से मैंने खुद ही लंड बाहर निकाल दिया.
मैंने अपना पानी उसके बूब्स पर छोड़ दिया.

फिर भाभी ने मेरे लौड़े की और अपने मम्मों दोनों की सफाई की और मेरे लंड से फिर से खेलने लगी.
मैंने उसे दोबारा लिटाया, उसकी चूत को निहारा और टांगें चौड़ी कर दीं.

अब वह पल आ गया था, जब हम दोनों एक-दूसरे में पूरी तरह खोने वाले थे.

मैंने अपने सुपाड़े को भाभी की चूत पर फेरना शुरू किया.
उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड बार-बार फिसल रहा था मानो उसकी कुंवारी चूत मुझे चुनौती दे रही हो.

फिर मैंने उसकी दोनों टांगों को ऊपर उठा कर चौड़ा किया और अपने लंड को चुत के छेद पर टिका दिया.

वह कसमसाने लगी और अपनी कमर ऊपर को उठा कर लंड लीलने की कोशिश करने लगी.

तभी मैंने एक जोरदार धक्का दे मारा.
मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर समा गया.

भाभी की तो चीख निकल गई- हाय मर गई मम्मी रे आह!
वह जोर-जोर से रोने लगी.

मैंने धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया, उसके होंठों को चूमते हुए प्यार से सहलाया.

कुछ देर बाद भाभी की चूत मेरे लंड को अपनाने के लिए तैयार हो चुकी थी.

मैंने स्पीड बढ़ाई.
भाभी ‘आह … ऊ … आह … ऊ …’ की मादक सिसकारियों के साथ चिल्ला रही थी.

मैं धक्के पर धक्के मारता गया.
क्या बताऊं एक तरफ भाभी का कोमल, गुलाबी चेहरा और दूसरी तरफ उसकी नाजुक चूत, जो किसी कुंवारी लड़की की तरह टाइट थी.

मैं तो बस ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था और भाभी भी मस्ती में चुदवाए जा रही थी.
करीब 15 मिनट की चुदाई में उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा. उसकी गर्मी और नमी ने मुझे भी उफान पर ला दिया.

बीस मिनट बाद मैंने भाभी की ब/च्चेदानी तक अपना पानी छोड़ दिया.
हम दोनों थककर एक-दूसरे के साथ लेट गए, पसीने से तर थे.

पाँच मिनट तक हम दोनों ही अपनी अपनी सांसें संभालते रहे.

फिर मैं उठा, भाभी भी उठी.
मैंने कहा- जानम, पानी देना!

उसने पास रखी पानी की बोतल मुझे पकड़ा दी. वह नंगी थी और चुदी चुदाई थी तो बेहद मस्त माल लग रही थी.
उसके दोनों दूध हाफुस आम की तरह तने हुए थे और हाथों की जुंबिश से मस्त थिरक रहे थे.

मैं उसके दूध देखने लगा तो वह शर्मा गई.

मैंने कहा- क्या हुआ?
वह बोली- ऐसे मत देखो न! मुझे शर्म आ रही है.

मैंने कहा- लंड लेते समय शर्म नहीं आ रही थी!
वह हंस दी और मुझे मुक्के से मारने लगी.

मैंने कहा- मैं कैसा लगा?
वह बोली- फाड़ दी तुमने!

मैंने कहा- क्यों अब तक फड़वाई नहीं थी?
वह हंस दी और अगले ही पल मौन हो गई.

मैंने कहा- पति से प्यास नहीं बुझती न!
वह एकदम बिंदास और मुँह बनाती हुई बोली- हां उसका लंड नहीं लुल्ली है.

मैंने उसकी इस बात का कोई जबाव नहीं दिया और पानी पिया.
कुछ मिनट तक हम दोनों वापस नंगे ही लेट गए और इधर-उधर की बातें करने लगे.

मैंने पूछा- भाभी, आप तो अभी भी कुंवारी-सी लगती हो!
वह शरमाती हुई बोली- मैंने आपको बताया है न कि उसका लंड नहीं है लुल्ली है और मुझे वह पसंद भी नहीं है.

मैंने मौका देखकर कहा- भाभी, अब जब भी मैं बुलाऊं, आ जाना.
वह हंसते हुए बोली- हां, बीवी तो नहीं बन सकती, पर तुम्हारी रखैल जरूर बनूँगी. अब तो आधी रात को भी बुलाओगे, तो मैं चली आऊंगी.

उसकी बात सुनकर मेरा जोश फिर जाग गया. मैंने शरारत से उसके बूब्स चूसने शुरू किए.
वह फिर गर्म हो गई.

मैंने कहा- भाभी, अब घोड़ी बनो.
वह बोली- मैं आज तक ऐसे कभी नहीं चुदी!

मैंने कहा- आज से शुरू कर दो.
मैंने उसे घोड़ी बनाया और अपने खड़े लंड पर थूक लगा कर उसकी चूत के छेद पर टिका दिया.

लंड लगते ही भाभी झट से आगे खिसक गई और पेलने से मना करने लगी.
मैंने प्यार से उसे मनाया और उसकी चूत पर थूक लगा कर चुत को मसला.
वह मस्त हो गई तो मैंने झट से लंड लगाया और भड़ाक से धक्का दे मारा.

भाभी चिल्ला पड़ी- हाय, मर गई!
वह एकदम से निढाल हो गई.

मैंने उसे फिर से कमर से उठा कर पोजीशन में लिया और उसके बूब्स सहलाए.
वह कुं कुं करती रही. मैंने उसकी कमर पकड़े रखी और धीरे से लंड अन्दर सरका कर स्पीड बढ़ा दी.

इस बार उसे दर्द नहीं हुआ और वह लौड़े के मजे लेने लगी.
अब तो साली खुद से अपनी गांड मेरे लौड़े पर मार रही थी ‘आह मस्त मजा आ रहा है जेठ जी आह पेलो … मैं आज सच में आपकी रांड बन गई हूँ!’

मैंने खुद के लिए जेठ जी का सम्बोधन सुना तो खुश हो गया और उसके दोनों दूध पकड़ कर कहा- ले बहू, आज तो तूने अपने जेठ के लंड को सुख दे दिया मेरी रंडी आह!
अब हम दोनों के बीच जेठ और बहू का रिश्ता बन गया था.

भाभी की चुत अब बहू की चुत में बदल गई थी.

मेरा लंड अब उसकी बच्चेदानी तक जा रहा था.
उसकी आंखों से आंसू छलक रहे थे, पर मैं रुका नहीं.

स्पीड बढ़ाते हुए मैं धक्के पर धक्के मारता रहा.
उसने फिर से पानी छोड़ दिया और मुझे पीछे धकेलने की कोशिश की, पर मैंने उसकी कमर पकड़ रखी थी.

मैं कहां मानने वाला था! धक्कों की रफ्तार और तेज कर दी.

मेरा पानी निकलने वाला था.
मैंने पूछा- पानी कहां छोड़ूँ?
वह बोली- कहीं भी छोड़ो, बस अब मेरी चूत को संतुष्ट कर दो.

मैंने स्पीड बढ़ाई और उसकी चूत को एक बार फिर से लबालब भर दिया.
वह निढाल होकर लेट गई.

उसके बाद मैंने अपने दोस्त को कॉल किया और उससे मुसम्मी का जूस मँगवाया.
साथ ही उससे रात रुकने की बात कही.
वह राजी हो गया.

अब हम दोनों उठे, साफ हुए, कपड़े पहने. तब तक दोस्त जूस लेकर आ गया.
हम तीनों ने जूस पिया, फिर मैंने दोस्त को अपनी बाइक की चाबी दी और कहा- आज रात रुकना है, तू कहीं और चला जा.

वह चला गया.

उस रात मैंने अनीता को तीन बार और चोदा. हम दोनों की हालत ऐसी हो गई थी कि न उसकी कुछ हिम्मत बची, न मेरी.
Padosan Ki Chudai के बाद वह तो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.

अगले 4-5 दिन में मैंने उसे फिर से बुलाया है.
इस तरह मैंने नई अनीता भाभी की चुदाई की.

उसके बाद भी कई बार उसके साथ रंगरलियां मनाईं.

आज भी वह मुझसे चुदवाती है.

तो गर्ल्स, भाभियो और मेरे प्यारे दोस्तो, कैसे लगी मेरी ये रसीली Padosan Ki Chudai कहानी? मुझे जरूर बताएं और मेल करें.
धन्यवाद.
kamvasnastories69@gmail.com

Click the links to read more stories from the category पड़ोसी or similar stories about Indian sex stories.

Loading read count...

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top

केवल 18+ वयस्कों के लिए

इस वेबसाइट की सामग्री केवल वयस्क (18 वर्ष से अधिक आयु) व्यक्तियों के लिए है। वेबसाइट पर प्रकाशित सभी कहानियाँ पूरी तरह से काल्पनिक हैं और केवल साहित्यिक मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई गई हैं। हम किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री, आपत्तिजनक व्यवहार या अवैध गतिविधि को समर्थन या प्रोत्साहन नहीं देते। कृपया इस साइट का उपयोग अपने विवेक, आयु और स्थानिक कानूनों के अनुसार करें।

इस साइट का उपयोग करते समय आपकी गोपनीयता सुरक्षित रहती है। आप जो भी सामग्री एक्सेस करते हैं, वह पूरी तरह आपकी व्यक्तिगत पसंद और जिम्मेदारी के अंतर्गत आता है।